बरहा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

बरहा ^१ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ बहा या बाहा] [स्त्री॰ अल्पा॰ बरही]

१. खेतों में सिंचाई के लिये बनी हुई छोटी नाली । उ॰—तरह तरह के पक्षी कलोल कर रहे थे, बरहों में चारों तरफ जल बह रहा था ।—रणधीर (शब्द॰) ।

२. नाला । उ॰—बरहे हरे भरे सर जित तित । हित फुहार की झमक रहति नित ।—घनानंद, पृ॰ २८८ ।

बरहा ^२ संज्ञा पुं॰ [देश॰] मोटा रस्सा ।

बरहा ^३ संज्ञा पुं॰ [सं॰ बर्हिं] मयूर । उ॰—(क) तहँ बरहा निरतत बचन मुख दुति अलि चकोर बिहंग । बलि भार सहित गोपाल झूलत राधिका अरधंग ।—सूर (शब्द॰) । (ख) उहाँ बरहा जनु उप्परि केल । किने नब दीठ हिया छवि मेल ।—पृ॰ रा॰, २५ । २३४ ।